हरियाणा का ये गांव है भाईचारे की एक ऐसी मिसाल जिसके कारण पिछले दो दशक में थाने में नही दर्ज हुआ एक भी केस

हरियाणा प्रदेश के विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली का गांव बिढ़ाईखेड़ा आपसी भाईचारे की बड़ी मिसाल पेश कर रहा है। गांव से पिछले दो दशक के दौरान किसी भी तरह के झगड़े या अन्य किसी क्राइम से संबंधित मुकदमा थाने में दर्ज नहीं हुआ है।
लड़ाई-झगड़े से जुड़े छोटे-मोटे मामले गांव में ही आपसी सुलह करके या पंचायत से सुलझा लिए जाते हैं। हालांकि, गांव की आबादी ज्यादा नहीं है। मात्र 750 ग्रामीण ही गांव में रहते हैं। गांव में 100 से 125 घर बने हुए हैं। जाट बाहुल्य इस गांव में कुल छह वार्ड हैं, जिनमें मतदाताओं की संख्या 379 है।
2010 में बनी पहली बार ग्राम पंचायत
गांव बिढ़ाई खेड़ा में पहली बार ग्राम पंचायत का गठन 2010 में हुआ था। इससे पहले यह गांव डांगरा की ग्राम पंचायत से जुड़ा हुआ था। ग्राम पंचायत के गठन के बाद पहली सरपंच महिला कलावती का चयन सर्वसम्मति से किया गया था। इसके बाद 2016 में ग्राम पंचायत के चुनावों में सरपंच पद के लिए मतदान हुआ, जिसमें रामचंद्र उर्फ रामू बराला गांव के सरपंच चुने गए।
हमारे गांव में छोटे-मोटे झगड़ों को गांव के बड़े-बुजुर्ग मध्यस्थता करके सुलझा लेते हैं। गांव में आपसी भाईचारा बना हुआ है। ग्रामीण थाने में जाने की सोचते ही नहीं। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। पिछले 20 सालों में गांव से संबंधित कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। -सुशील कुमार, निवर्तमान पंच, बिढ़ाई खेड़ा
गांव में किसी भी प्रकार की कोई घटना होती है, तो उसे आपसी सहमति से सुलझा लिया जाता है। गांव में हमेशा शांति रहती है। ग्रामीण आपस में एक-दूसरे के साथ मिलकर चलते हैं। किसी भी ग्रामीण के सुख-दुख में पूरा गांव साथ रहता है। -वीरेंद्र सिंह, निवर्तमान पंच, बिढ़ाईखेड़ा
हमारा गांव बिढाईखेड़ा बेहद शांतिप्रिय गांव है। गांव के लोग छोटे-मोटे मामलों को गांव में ही पंचायत करके आपसी सुलह से सुलझा लेते हैं। गांव में काफी विकास कार्य हुए हैं। विकास कार्यों में सभी ग्रामीणों का बड़ा सहयोग रहता है। -रामचंद्र बराला, निवर्तमान सरपंच, बिढ़ाई खेड़ा
थाने के रिकॉर्ड के अनुसार गांव बिढ़ाई खेड़ा में पिछले 15-20 साल से किसी भी तरह का कोई भी अपराध से जुड़ा मुकदमा दर्ज नहीं है। पुलिस रिकॉर्ड में गांव बेहद शांतिपूर्ण है