कमाल का हुनर, मिट्टी से हूबहू बना दी Lata Mangeshkar की Photo, देखें Video
लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। भारत सरकार ने उन्हें 'भारतरत्न' से सम्मानित किया था।
इनकी मृत्यु कोविड से जुड़े जटिलताओं से 6 फरवरी 2022 रविवार माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि वि स 2078 (पंचक) को मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुई। वे कुछ समय से बीमार थीं। उनकी महान गायकी और सुरमय आवाज के दीवाने पूरी दुनिया मे हैं।[3] प्यार से सब उन्हें 'लता दीदी' कहकर पुकारते हैं। वर्ष 2001 में इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
लता का जन्म एक कर्हाडा ब्राह्मण दादा और गोमंतक मराठा दादी के परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजी के कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंत जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।
पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसले ने।
उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों "अंग्रेजी छोरा चला गया" और "दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने" जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म "महल" के "आयेगा आनेवाला" गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विविध
पिता दीनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।
उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म 'कीर्ती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया "आयेगा आने वाला" सुपर डुपर हिट था।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।
लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति थीं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
वे हमेशा अपने पैर से चप्पल उतार कर हि (नंगे पाँव) स्टूडियो, स्टेज आदि पर गाना रिकार्डिंग करती अथवा गाती थीं।
पुरस्कार
लता जी की युवावस्था की छबि
फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
1969 - पद्म भूषण
1974 - दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
1989 - दादा साहब फाल्के पुरस्कार
1993 - फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1996 - स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1997 - राजीव गांधी पुरस्कार
1999 - एन.टी.आर. पुरस्कार
1999 - पद्म विभूषण
1999 - ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2000 - आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 - स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न"
2001 - नूरजहाँ पुरस्कार
2001 - महाराष्ट्र भूषण
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने शादी क्यों नहीं की?
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने शादी क्यों नहीं की। इसका जवाब वह खुद देती हैं। लता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दरअसल घर के सभी सदस्यों की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी। ऐसे में कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी। बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी। बहुत ज़्यादा काम मेरे पास रहता था। साल 1942 में तेरह साल की छोटी उम्र में ही लता जी के सिर से पिता का साया उठ गया था इसलिए परिवार की सारी जिम्मेदारियां उनके ऊपर आ गई थीं।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)का आखिरी गाना कौन सा है?
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने सबसे ज्यादा हिंदी गानों को अपनी मधुर आवाज दी थी। उनके आखिरी फिल्मी गाने की बात की जाए तो यह साल 2006 में रिलीज हुई 'रंग दे बसंती' का गाना 'लुका छिपी' था। इस गाने को एआर रहमान ने कंपोज किया था। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)की आखिरी हिंदी ऐल्बम की बात की जाए तो यह साल 2004 में रिलीज हुई फिल्म 'वीर-जारा' थी। मदन मोहन के संगीत से सजी इस फिल्म में लता ने कई सुपरहिट गानों जैसे 'तेरे लिए हम हैं जिए', 'ऐसा देस है मेरा', 'ये हम आ गए हैं कहां', 'हम तो भई जैसे हैं', 'दो पल रुका ख्वाबों का कारवां' को आवाज दी थी।
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)कितनी पढ़ी लिखी थी?
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)कभी स्कूल क्यों नहीं गईं, इसकी एक कहानी यह भी है कि स्कूल के पहले दिन लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)बच्चों को गायन सिखा रही थीं और जब शिक्षक ने उन्हें ऐसा करने से रोका, तो वह उसके बाद कभी स्कूल नहीं गईं. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)का बचपन से ही गायन का शौक रहा है. और ऐसा करने से रोकने पर उसे चोट लगी.
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)के स्कूल न जाने का कारण चाहे जो भी हो, हममें से किसी के पास जितनी डिग्री हो सकती है, उससे कहीं अधिक उन्होंने पाईं. सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)को दुनिया के छह विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की डिग्री दी है.
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने अब तक कितने गाने गाए हैं?
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)सुरों की मल्लिका, भारत देश के महान गायकों में से एक हैं। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)जी देश-विदेश सभी जगह अपनी आवाज के लिए जानी जाती है। लता जी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इन्होंने सबसे ज्यादा गाना गाकर एक रिकॉर्ड दर्ज किया है। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)जी ने 20 अलग-अलग भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाए हैं।