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लोहे की कील बनाने का कारोबार ने बना डाला लखपति

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लोहे की कील बनाने का कारोबार ने बना डाला लखपति

साहित्यकारों ने लोहे की कील को कभी सम्मानजनक स्थान नहीं दिया। कील पर तस्वीर से लेकर ताबूत की आखिरी कील तक हमेशा कील को खुशियां, सफलता और जिंदगी का खात्मा बताया गया, लेकिन मध्यप्रदेश में एक युवक ने कील की दम पर ना केवल अपना कैरियर बनाया बल्कि लाखों का कारोबार खड़ा कर दिया।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में शलभ चौहान हमेशा से कहानी का केंद्र बने रहे। वर्षों तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे। हर प्रतियोगी परीक्षा में पार्टिसिपेट किया लेकिन कभी सफलता नहीं मिली। लोग कहानी सुनाते थे कि यदि क्षमताएं नहीं है तो तैयारी में समय और पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए। शलभ को इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ता था परंतु हर असफलता कॉन्फिडेंस लूज कर जाती थी।

Small business ideas ने लाइफ बदल दी

शलभ कि जिंदगी में एक मोड़ ऐसा आया जब उसे भी विश्वास हो गया कि अपन सरकारी नौकरी के लिए पैदा ही नहीं हुए। कुछ और करना होगा। यही दिन शलभ की लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था। उसने अपने लिए कोई नया बिजनेस प्लान सर्च करना शुरू किया। मार्केट रिसर्च के बाद इस नतीजे पर पहुंचा की लोहे की कील बनाने का कारोबार अच्छा मुनाफा दे सकता है और इसमें कंपटीशन भी बहुत कम है।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के फायदे

मार्केट रिसर्च यदि सही है तो कॉन्फिडेंस अपने आप build-up हो जाता है। शलभ ने ठान लिया था कि लोहे की कील बनाने का कारोबार जरूर करेगा। पैसा नहीं था लेकिन प्रतियोगी परीक्षा की पढ़ाई के कारण प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के बारे में सब कुछ पता था। प्रॉपर प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई। संबंधित अधिकारियों से मिले। प्रोजेक्ट पास हुआ तो बैंक में जाकर अपना प्रेजेंटेशन दिया और 2500000 रुपए का लोन मिल गया। आज शलभ की सफलता की कहानी केवल उसके रिश्तेदार और मोहल्ला पड़ोस के लोग नहीं बल्कि सीहोर के कलेक्टर भी सुनाते हैं।

MORAL OF THE STORY

मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि अपनी लाइफ के लिए करियर कंफर्म करने से पहले माइंडसेट तोड़कर अपनी एलिजिबिलिटी और अपॉर्चुनिटी की नापतोल जरूर करना चाहिए। लाइफ में सक्सेस का सबसे बड़ा रोड़ा माइंडसेट होता है। यदि शलभ अपनी असफलताओं के लिए सरकार की नीतियों और परिस्थितियों या भगवान को दोष देते तो आज ना हम उनकी कहानी लिख रहे होते और ना आप पढ़ रहे होते।