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Success Story of ias pallavi verma: इस लड़की ने लोगों के तानों को बनाई अपनी ताकत, 6 बार असफलता के बाद भी नही कम हुआ हौंसला, पल्लवी वर्मा ने IAS बनकर ही लिया दम

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Success Story of ias pallavi verma: इस लड़की ने लोगों के तानों को बनाई अपनी ताकत, 6 बार असफलता के बाद भी नही कम हुआ हौंसला, पल्लवी वर्मा ने IAS बनकर ही लिया दम

Success Story of ias pallavi verma: कहते हैं कि वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता चाहे वो सफलता हो या कोई चीज। व्यक्ति की किस्मत में जब जो लिखा होता है उसे वो तभी मिलता है चाहे उसके लिए कितने जतन कर ले। लेकिन मेहनत और लगन दो ऐसे पहलू हैं जो किस्मत की रेखाओं को भी बदलकर रख देते हैं। ये बातें सुनने में बेहद किताबी लग सकती हैं लेकिन यूपीएससी के टॉपर्स की कहानियां इन पंक्तियों को सच करती नज़र आ रही हैं।

यूपीएससी 2020 की रैंक 340 प्राप्त करने वाली पल्लवी वर्मा का यूपीएससी सफर मेहनत के दम पर किस्मत बदलने का सटीक उदाहरण है। पल्लवी को यूपीएससी लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने में सात सालों का लंबा समय लग गया। पल्लवी का 2020 में यह सातवां प्रयास था और उन्हें इस प्रयास में 340वीं रैंक हासिल हुई।

इंदौर में रहने वाली पल्लवी ने अपनी स्कूली पढ़ाई इंदौर से ही की है और ग्रेजुएशन बायोटेक्नॉलोजी में किया है। वे अपने परिवार की पहली लड़की हैं जिन्हें यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। ग्रेजुएशन करने के बाद पल्लवी ने चेन्नई में सॉफ्टवेयर टेस्टर के रूप में 10-11 महीनों के लिए कार्य किया और 2013 के बाद पूरी तरह से सिविल सेवा परीक्षा यानी यूपीएससी की तैयारी मे जुट गईं।

उन्होंने 2013 से लेकर 2020 तक परीक्षा दी। तीन बार प्रीलिम्स में फेल हुईं, तीन बार इंटरव्यू तक पहुंचने के बाद भी सफलता नहीं मिली और एक बार मेन्स ने सपना तोड़ दिया। लेकिन 2020 के सांतवे प्रयास में उन्होंने रैंक 340 प्राप्त कर आईएएस बन कर सफलता हासिल की।


सातवें प्रयास के दौरान मां को कैंसर
हालांकि पल्लवी ने सातवें प्रयास में यूपीएससी लिस्ट में अपना नाम ढूंढ ही लिया लेकिन इस बार भी उन्हें किस्मत की परिक्षाओं से लड़ते रहना पड़ा। जब वे 2020 की परीक्षा में बैठी थीं तब उनकी मां कैंसर से जूझ रहीं थीं और कीमोथैरेपी की प्रक्रिया से गुजर रहीं थी। माता-पिता को परेशानी में देखना किसी भी बच्चे के लिए बेहद कठिन होता है, ऐसी मुश्किल घड़ी में भी पल्लवी ने अपना धैर्य बनाए रखा और मां को साथ लेकर तैयारी में लगी रहीं।

जब किस्मत ने साथ छोड़ा तो माता-पिता ने हाथ थामा
यूपीएससी में बार-बार मिल रही असफलता से तंग आकर पल्लवी ने हार मानकर तैयारी छोड़ देने का मन बना लिया लेकिन वे उनके माता-पिता ही थे जो लगातार उन्हें हिम्मत देते रहे। पल्लवी की बढ़ती तैयारी के साथ उम्र भी बढ़ती रही और बाल सफेद होते रहे, चेहरे पर झुर्रियां बढ़ती रही।

रिश्तेदारों ने कहा, '' अब तक सफलता नहीं मिली तो अब क्या मिलेगी, ये किस्मत में ही नहीं है। उम्र बढ़ जाएगी तो शादी कौन करेगा। लेकिन पल्लवी के माता-पिता ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और सारे रिश्तेदारों और समाज के तानों से अपनी बेटी की रक्षा कर उसकी ढाल बनकर खड़े रहे।

सातवें प्रयास में पिछली गलतियों को सुधार कर बनाई नई रणनीति
2013 में बिना परीक्षा पैटर्न जानें पल्लवी तैयारी में कूद गईं थी जिसके कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। सातवें यानी 2020 के प्रयास में उन्होंने अपनी कमजोरियों को सुधारा और तैयारी की स्ट्रेटेजी में बदलाव किया। उन्होंने टाइम-टेबल बनाकर लाइब्रेरी में जाकर तैयारी करना शुरू कर दिया। ये बदलाव और ये मेहनत रंग लाई और यूपीएससी 2020 की परीक्षा में रैंक 340 प्राप्त कर आईएएस ऑफिसर बन गईं।