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Hindi Success Story: बीटेक के बाद पायल ने नौकरी नही खेती की ओर किया रुख, अब कमा रही है लाख रुपये महीना

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Hindi Success Story: बीटेक के बाद पायल ने नौकरी नही खेती की ओर किया रुख, अब कमा रही है लाख रुपये महीना

बदलते दौर की बात की जाए तो जहां युवा अच्छी क्वालिफिकेशन के बाद भी रोजगार के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ युवा ऐसा उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन रहा है. मेरठ सदर निवासी पायल अग्रवाल ने कुछ इसी तरह का मिसाल बनाने वाला काम किया है.

दरअसल, बीटेक करने के बाद पायल अग्रवाल ने नौकरी के लिए इधर उधर भटकने के बजाय अपना खुद का उद्यम करने की सोची और इस सपने के साथ आगे बढ़ती गईं. पायल अग्रवाल आज वर्मी कंपोस्ट (vermi compost) उद्यम के जरिए 10 महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं.

वैसे तो आपने युवाओं को कहते हुए सुना होगा कि बीटेक करने के बाद वह इंजीनियरिंग करते हुए अपने भविष्य को संवारेंगे, लेकिन मेरठ की इस बिटिया ने अपनी डिग्री से अलग ही उद्यम को चुना है, जो कि एक चुनौती थी. नारी शक्ति की मिसाल पेश करते हुए इस बेटी ने अपनी डिग्री से अलग वर्मी कंपोस्ट उद्यम शुरू कर एक नया मुकाम पाया.

महिलाओं के रोजगार का बनीं जरिया

पायल अग्रवाल ने मेरठ के दत्तावली गांव में वर्मी कंपोस्ट का कार्य शुरू किया है, जिसमें 10 महिलाएं प्रतिदिन उनके यहां पर कार्य करती हैं. जिन्हें डेली बेसिस के माध्यम से वह काम उपलब्ध कराती हैं. पायल के यहां काम करने वाली महिला शालू बताती हैं कि गांव में ही इस तरह का कार्य शुरू होने से उन्हें भी काफी सुविधा मिली है. घर के साथ साथ ही वह यहां आकर भी काम करती हैं.

देशभर से हो रही है डिमांड

मेरठ सदर निवासी पायल अग्रवाल ने वर्ष 2016 में 30 बेड के साथ इसकी शुरुआत की थी. महज 6 सालों में 350 बेड में यह कार्य चल रहा है. इतना ही नहीं पायल अग्रवाल मेरठ के साथ-साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी वर्मी कंपोस्ट खाद को भेजती हैं. पायल के मुताबिक, सभी खर्चे निकालने के बाद वह एक लाख रुपए प्रति महीना कमा लेती हैं.

माता-पिता ने भी जताया विश्वास

NEWS 18 LOCAL से खास बातचीत करते हुए पायल अग्रवाल ने कहा कि जब उन्होंने अपना स्वरोजगार कार्य करने का मन बनाया तो उनके माता-पिता ने भी विश्वास जताते हुए उनका समर्थन किया. एक एकड़ जमीन में यह शुरुआत की गई थी. उनके परिवार के सदस्य ने उनका भरपूर सहयोग दिया. उन्होंने कहा कि युवाओं को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि रोजगार मिले. अपने स्वरोजगार के माध्यम से हम अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएं,ऐसी सोच जरूरी है.

बहरहाल, वर्मी कंपोस्ट को आसान भाषा में कहा जाए तो केंचुए से खाद बनाने की प्रक्रिया है, जो गोबर से पूरी की जाती है. खेती में इस खाद को काफी सहायक माना जाता है.