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हरियाणा की बेटियों ने खेलों में फिर गाडे झंडे, कभी पिता ने पैसों की कमी के कारण कहा था छोड़ दो खेल, आज बेटियां शूटिंग बॉल में लहरा रही हैं परचम

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हरियाणा की बेटियों ने खेलों में फिर गाडे झंडे, कभी पिता ने पैसों की कमी के कारण कहा था छोड़ दो खेल, आज बेटियां शूटिंग बॉल में लहरा रही हैं परचम

हरियाणा की बेटियां इन शब्दों को सच कर रही है. शूटिंग बॉल खेल में दिलचस्पी रखने वाली झज्जर की बेटियां अपने सपने साकार करने के लिए खूब मेहनत कर रही थी. लेकिन इनके पिता मजदूरी और ड्राइवरी कर के जैसे-तैसे अपना परिवार का भरण पोषण कर रहे थे.


ऐसे में लड़कियों के खेल का खर्चा उठाना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा था. नतीजन, उन्होंने अपनी बेटियों से कहा कि वे उनका शूटिंग बॉल खेल का खर्चा नहीं उठा सकते, इसे छोड़ दो. आने-जाने के अलावा ट्रेनिंग का भी खर्चा है. घर पर ही रह कर पढ़ाई करो.


अपने पिता से ये बातें सुनने के बाद भी बेटियों की हिम्मत कम नहीं हुई और उन्होंने अपने सपने को जीवंत रखा. आगे चलकर खेल प्रेमियों ने इन्हें गोद लिया और सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई. बेटियों ने भी उन्हें निराश नहीं किया और खेल में अपना शत प्रतिशत दिया. आज हरियाणा की सीनियर महिला शूटिंग बॉल टीम में 12 में से 7 लड़कियां झज्जर के 3 गांव खेड़ी आसरा, दूल्हेडा और छुड़ानी की है. अब बेटियों को घर बैठने को कहने वाले परिजन भी उनकी उपलब्धि पर गर्व करते नहीं थक रहे हैं.


जिन बेटियों ने महिला शूटिंग में देश भर में अपने खेल का हुनर दिखाया है. उनमें दूल्हेडा गांव की कृतिका, दीपिका, अंशु, छुड़ानी गांव की पूजा है.इन चारों के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. दुल्हेड़ा की काजल और खेड़ी आसरा की सुधा है. इनके पिता दिल्ली पुलिस में कार्यरत है. वहीं खेड़ी आसरा की हिमांशी के पिता डीटीसी में ड्राइवर है.


हाल ही में 27 मार्च को पंजाब के अबोहर में हुई नेशनल महिला शूटिंग बॉल प्रतियोगिता में हरियाणा को गोल्ड मेडल दिलाने वाली यही लड़कियां हैं. सातों लड़कियां सरकारी स्कूल में है पढ़ती हैं. पढ़ाई के साथ सभी लड़कियां अब हरियाणा की जूनियर के बाद सब जूनियर और सीनियर टीम में सिलेक्ट होकर दमखम दिखा रही हैं.

खेल प्रेमी दिलवा रहे हैं ट्रेनिंग

झज्जर के खेड़ी आसरा, दूल्हेडा और छुड़ानी गांव की इन प्रतिभावान बेटियों के परिजन तो महंगे खेल की तैयारी नहीं करा सकते थे. ना ही इन्हें बार-बार चैंपियनशिप के लिए भेज सकते थे, इसलिए इन होनहार बेटियों को खेल प्रेमियों ने गोद लिया है. किसी ने स्पोर्ट्स शूज , किसी ने ट्रैक सूट, तो किसी ने इनके लिए शूटिंग बॉल खरीदी है.


बेटियां जिस कोच से ट्रेनिंग ले रही है, उसकी फीस देने का जिम्मा भी खेल प्रेमियों ने उठाया है. साथ ही देश के किसी भी शहर में स्टेट या नेशनल प्रतियोगिता होती है तो इनके वहां आने-जाने का खर्च भी वही लोग उठा रहे हैं.


समाज सेवियों ने लिया बेटियों को गोद

बता दें कि इन बच्चियों को दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी, राजवीर जाखड़, वेद प्रकाश दूहन, अमित जून, सुरेंद्र ठेकेदार और डॉक्टर सुनील जाखड़ ने गोद लिया है. वहीं एमेच्योर शूटिंग बॉल फेडरेशन के महासचिव जेपी कादियान का कहना है कि इस खेल की सरकारी नर्सरी झज्जर जिले में शुरू होती तो जिले की अन्य महिला खिलाड़ी भी इस खेल में आगे बढ़ सकती हैं.


महिला शूटिंग बॉल में झज्जर जिला 2009 से ही देश भर में नाम कमा रहा है. पिछले 16 साल से हरियाणा की स्टेट टीम में 80% खिलाड़ी झज्जर से ही है. नेशनल टीम में भी हर सीजन में झज्जर के दो से तीन खिलाड़ी सिलेक्ट होते हैं. इसकी शुरुआत जिले के खेड़ी आसरा गांव से हुई थी. यहां की 4 बेटियां इस खेल की इंटरनेशनल खिलाड़ी रह चुकी है,


जिन्होंने 2018 के इंडो नेपाल इंटरनेशनल महिला शूटिंग बॉल चैंपियनशिप में देश को गोल्ड मेडल जिताया था. तब भारतीय महिला टीम की कैप्टन झज्जर की हितेषी छिकारा थी, जो रेलवे में कार्यरत है. अब इस गांव की 15 से 20 लड़कियां इस खेल की ट्रेनिंग ले रही है.