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हाइड्रोपोनिक्स खेती से किसान कमा रहे करोड़ो रूपए ,आखिर क्या है ये नई तकनीक

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हाइड्रोपोनिक्स खेती से किसान कमा रहे करोड़ो रूपए ,आखिर क्या है ये नई तकनीक

क्या है हाइड्रोपोनिक खेती और इससे होने वाले लाभ

हाइड्रोपोनिक खेती यानि हाइड्रोकल्चर तरीके से खेती करके तेलंगाना के किसान हरिशचंद्र रेड्डी आज करोड़ों रुपए की इनकम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें शुरुआत में ही इतनी इनकम होने लगी हो। शुरुआत में उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती का प्रशिक्षण लिया और इसकी तकनीक का गहन अध्ययन किया।



इसके लिए उन्होंने करीब उन्होंने छह माह तक हाइड्रोपोनिक खेती के तरीके को समझा और इसके बाद इस तरीके से खेती करना शुरू किया। हालांकि शुरुआत में हाइड्रोपोनिक यानि प्राकृतिक खेती करने में लागत काफी आई। लेकिन उसके बाद लागत कम होती गई और उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। इसका परिणाम ये हुआ कि आज वे इस प्रकार की खेती करके करीब 3 करोड़ तक की कमाई कर रहे हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको बताएंगे कि हाइड्रोपोनिक खेती क्या है और इससे कैसे कमाई की जा सकती है।

हाइड्रोपोनिक खेती का विचार कैसे मन में आया


किसान हरिशचंद्र रेड्डी बताते हैं कि वह सस्ती कीमत पर लोगों को सब्जियां खिलाना चाहते थे। साथ ही बाजार में सब्जियों की मांग को देखते हुए उनका ध्यान हाइड्रोपोनिक खेती की ओर गया। बस फिर क्या था। उन्होंने कई जगह पर जाकर इसके बारे में जानकारी ली और प्रशिक्षण लेकर हाइड्रोपोनिक खेती करना शुरू किया। हालांकि शुरुआत में लागत के अनुरूप मुनाफा नहीं हुआ। लेकिन बाद में इसमें लागत में कमी आती गई और मुनाफा बढऩे लगा और आज हरिशंचद रेड्डी हर साल तीन करोड़ रुपए की कमाई हाइड्रोपोनिक खेती से कर रहे हैं। बता दें कि हरिशंचद रेंड्डी तेलंगाना के रहने वाले है और उनकी पहचान एक सफलतम हाईड्रोपोनिक किसान के रूप में है।

पॉलीहाउस का किया निर्माण


हरिशचंद रेड्डी के मुताबिक उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से फसल को सुरक्षित रखने के लिए पॉलीहाउस का निर्माण कराया और उसमें हाइड्रोपोनिक तरीके से सब्जियों की खेती की। हालांकि पॉलीहाउस निर्माण और अन्य वस्तुओं पर शुरुआती स्तर पर काफी पैसा खर्च हुआ। लेकिन धीरे-धीरे इनकम बढ़ती गई और खेती का खर्च कम होने लगा। इस तरह देखा जाए तो हाइड्रोपोनिक खेती में शुरुआती खर्च अधिक होता है लेकिन साल दर साल खर्च कम होने लगता है और मुनाफा बढऩे लगता है।

क्या होती है हाइड्रोपोनिक्स खेती


हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इस पद्धति से खेती में बिना मिट्टी का प्रयोग किए आधुनिक तरीके से खेती की जाती है। यह हाइड्रोपोनिक खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है। इसमें जलवायु नियंत्रण की जरूरत नहीं होती है। हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए करीब 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसमें 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता वाली जलवायु में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।

हाइड्रोपोनिक खेती करने का क्या है तरीका


इस तकनीक में पाइप का इस्तेमाल किया जाता है जिसमे कई छेद होते है, इन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते है। पौधे की जड़े पाइप के अंदर होनी चाहिए जहां पोषक तत्व युक्त पानी भरा होता है जिसमे जड़ें डूबी रहती है। इस तकनीक में फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्निशियम, कैलशियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन जैसे पोषक तत्वों तथा खनिज प्रदार्थो को एक उचित मात्रा में मिलाकर मिश्रित कर लिया जाता है। अब मिश्रण किए गए इस घोल को निर्धारित किए गए समय दिया जाता है। जिससे पौधों को सभी पोषक तत्व प्राप्त होते रहते है और पौधे आसानी से वृद्धि करते है। वर्तमान समय में इस तकनीक का इस्तेमाल केवल छोटे पौधों वाले फसलों की खेती में किया जा रहा है, जैसे- शिमला मिर्च, मटर, मिर्च, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी,गाजर, शलजम, ककड़ी, मूली, आलू आदि।

हाइड्रोपोनिक खेती में कितनी आती है लागत


इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करने में पहले अधिक लागत लगती है, किंतु एक बार यह प्रणाली पूर्णरूप से स्थापित हो जाती है। तब आप इस प्रणाली से अधिक लाभ कमा सकते है। इसमें कम जगह में अधिक पौधे उगाए जा सकते है। अब बात करें इसमें आने वाले खर्च की तो हाइड्रोपोनिक तकनीक स्थापित करने में प्रति एकड़ के क्षेत्र में करीब 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है। यदि आप छोटे क्षेत्र करीब 100 वर्गफुट क्षेत्र में इस तकनीक को स्थापित करते हैं तो इसमें आपका करीब 50,000 से 60,000 रुपए तक का खर्च आ सकता है। इतने क्षेत्र में करीब 200 पौधों को उगाए जा सकते हैं। यदि आप चाहे तो अपने घर की छत पर भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर सकते है।

हाइड्रोपोनिक खेती से होने वाले लाभ


हाईड्रोपोनिक खेती करके किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि शुरुआती लागत अधिक जरूर होती है लेकिन एक बार ये प्रणाली स्थापित हो जाए तो आगे इसकी लागत घटती जाती है मुनाफा बढ़ता जाता है। हाइड्रोपोनिक खेती से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। उनमें से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं।

पानी की बचत


हाइड्रोपोनिक खेती में करीब 90 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इस लिहाज से वर्तमान समय में ऐसी खेती की आवश्यकता अधिक है। क्योंकि आज जल संकट की समस्या हर जगह गहरा रही है। ऐसे में ये खेती एक अच्छा विकल्प है।

कम जगह में अधिक पौधे उगाना संभव


परंपरागत खेती की तुलना में हाईड्रोपोनिक खेती का इस्तेमाल कर कम जगह में अधिक पौधों को उगाया जा सकता है। इस विधि द्वारा पोषक तत्व बिना किसी हानि के आसानी से पौधों को प्राप्त हो जाते है। इससे उनकी बढ़वार जल्दी होती है और फसल भी अच्छी गुणवत्ता वाली होती है।

विपरित मौसम का कोई प्रभाव नहीं


हाइड्रोपोनिक खेती पर मौसम का इतना ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें कीट व रोगोंं का प्रकोप भी कम देखा गया है। ये बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक है। इस कारण इसमें मिट्टी जनित रोग या कीटों का प्रकोप नहीं होता है। इसकेे अलावा इस तकनीक में पौधे को मौसम, जानवरों या किसी तरह के जैविक व अजैविक कारणों का प्रभाव नहीं पड़ता है। बता दें कि ज्यादातर पॉलीहाउस बनाकर ही ही इस तकनीक से खेती की जाती है। विदेशों में अधिकतर इस खेती की इस तकनीक को इस्तेमाल किया जा रहा है।

कीटनाशकों और रासानिक खाद पर होने वाले खर्च की बचत


हाइड्रोपोनिक खेती में कीटनाशक और रासानिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। ये पूर्णरूप से प्राकृतिक खेती के सिद्धांत पर आधारित है। इसलिए इसमें प्राकृतिक खेती के नियमों का पालन किया जाता है। इसमें प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल किया जाता है जिससे महंगे रसायनिक खाद और यूरिया और कीटनाशक पर होने वाले खर्च की बचत होती है।

स्वस्थ उत्पादन, अधिक मुनाफा


जैसा कि हाइड्रोपोनिक खेती में रायायनिक खाद, कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इससे हमें स्वस्थ उत्पादन प्राप्त होता है जिसकी कीमत भी बाजार में अच्छी मिलती है। इस तरह इस प्रकार की खेती से गुणवत्तापूर्ण स्वस्थ उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जो लोगों की सेहत के फायदेमंद है।

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