Success story: मां करती थी मनरेगा में मजदूरी, बेटी और बेटी बनेंगे डाॅक्टर

Govt Vacancy, हौसले बुलंद हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही नागौर जिले के गांव चेनार निवासी भाई-बहन ने किया। उनका परिवार बहुत गरीब था। मां मनरेगा में मजदूरी करती थी, जबकि पिता मामूली पंचायत सहायक का काम कर परिवार चलाते थे, लेकिन अब इन भाई-बहनों ने एक साथ प्री-मेडिकल टेस्ट पास कर डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया. इससे इस परिवार के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
बेटी-बेटे ने किया सपना साकार
बेटी किरण और बेटे भुवनेश्वर कुमार ने कहा कि उनके पिता का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन वह डॉक्टर नहीं बन सके, इसलिए दोनों ने अपने सपने को साकार करने के लिए विज्ञान को चुना. फिर उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए दिन-रात मेहनत की। आज उनका सपना सच हो गया।
आर्थिक तंगी के बावजूद वे डॉक्टर बने
किरण और भुवनेश्वर पंवार ने कहा कि उनके पिता राजेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. क्योंकि पिता दिन में पंचायत में सहायक का काम करते थे, जबकि रात में घर के अंदर कपड़े सिलने का काम करते थे। वहीं मां पार्वती ने भी बच्चों को पढ़ाने के लिए मनरेगा में काम किया। ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
वह प्रतिदिन कठिन परिश्रम करता था
किरण और भुवनेश्वर ने बताया कि हम कोचिंग जाकर रोजाना 7-8 घंटे पढ़ाई करते थे। उन्होंने हमेशा गुरु के निर्देशन में कड़ी मेहनत की। फिलहाल उसका नीट में चयन हो गया है। किरण को सरकारी मेडिकल कॉलेज कोटा और भुवनेश्वर को सरकारी मेडिकल कॉलेज तेलंगाना में पदस्थ किया गया है।
परिवार के चेहरे पर मुस्कान
पिता राजेश पंवार ने कहा कि परिवार के चेहरे पर खुशी लौट आई है। क्योंकि वह डॉक्टर नहीं बन सका, उसके बच्चों ने मेरे सपने पूरे कर दिए। राजेश ने कहा कि उनके गुरु प्रदीप ग्वाला मेरे बच्चों के सपनों को पूरा करने में अपना योगदान देते हैं, क्योंकि उन्होंने मेरी आर्थिक स्थिति को देखते हुए मेरे बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी.
राजेश पंवार नागौर के ग्राम चेनार के रहने वाले हैं। गांव का यह पहला कारनामा है कि एक घर से एक बेटी और एक बेटा एक साथ डॉक्टर पद के लिए चुने गए हैं। जिससे गांव में खुशी का माहौल है।