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Govt Vacancy, पटना: कहा जाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इंसान जब चाहे सीख सकता है और सीखी हुई कोई भी चीज कभी बेकार नहीं जाती. पटना सिटी के डमराही और बुंदेलटोली घाट की सीमा पर स्थित लाली राय की चाय की दुकान भी कुछ ऐसी ही अनूठी मिसाल पेश कर रही है. लाली राय ने छठ पर्व के पहले दिन गंगा पथ के किनारे एक गड्ढे (गावरे) में बांस गाड़कर 1 किलो दूध से अपनी चाय की दुकान शुरू की। वह राजमिस्त्री से चाय वाला बना है।
ग्राहक आने लगे
छठ पर्व के चलते गंगा घाटों पर लोगों की चहलकदमी सामान्य से अधिक होती है। इस कारण छठ पर्व के समय से ही इस दुकान पर काफी संख्या में लोग चाय पीने आने लगे थे। खास तरीके से बर्तन में तैयार की गई यह चाय कुछ ही दिनों में इलाके में मशहूर हो गई और आज मालूम होता है कि 1 किलो दूध से चाय की दुकान शुरू करने वाले लाली कहते हैं कि बाजार अच्छा हो तो 40 से एक दिन में 50 किलो दूध चाय में पी जाती है। लाली का कहना है कि एक दिन में 500 से ज्यादा चाय बिक जाती हैं।
लाली दिल्ली भाग गया था
लाली बताते हैं कि जब वह 20-22 साल के थे तो अपने गांव दियारा में रहते थे। घास काटने के लिए उन्हें तैरकर नदी पार करनी पड़ी। एक दिन उनके साथ घास काटने गया एक परिचित नदी में डूब गया। लाली ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन वह एक बार भी नहीं आया। लाली के अनुसार गंगा नदी में डूबने वाला व्यक्ति 7 बार पानी के नीचे होता है। और तब तक उसे बचाया जा सकता है।
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लाली को डर था कि कहीं डूबने वाला भूत बनकर उसे नुकसान न पहुंचा दे। यह सोचकर वे गांव और नदी से बहुत दूर दिल्ली भाग गए। वहां उन्होंने एक मोटर कारखाने में और घर बनाने वाली साइटों पर एक मजदूर के रूप में काम किया। बाद में उन्होंने राजमिस्त्री का काम करना शुरू किया, लेकिन कुछ सालों बाद उनके हाथों में सीमेंट से संक्रमण होने लगा। जिससे उन्होंने राजमिस्त्री का काम छोड़ दिया। हालाँकि, चाय की दुकान स्थापित करने में उनके राजमिस्त्री का कौशल काम आया। बांस की डबल सेन्टिंग करके उन्होंने गड्ढे में ही अपनी दुकान लगा ली।
चाय के साथ पकौड़े भी परोसे जाते हैं
लाली राय में आप शुद्ध सरसों के तेल में डूबी हुई पकौड़े, कचरी और रोटी के साथ-साथ गंगा के प्राकृतिक रंग और गरमा गरम चाय का भी स्वाद ले सकते हैं। यहां आपको कुल्हड़ वाली चाय के 10₹ प्रति कप मिलेंगे, वहीं कचहरी, ब्रेड और प्याज के पकौड़े आपको 5 से 15 रुपए मिलेंगे।